हाइलाइट्स
टीम इंडिया के खिलाड़ी का पहला विदेश दौरा था
एयरपोर्ट पर इमिग्रेशन अफसर ने दी थी नसीहत
नई दिल्ली. बात है साल 1971 की. भारतीय टीम वेस्टइंडीज के दौरे पर थी. पांच मैचों की सीरीज में पहला मैच ड्रॉ पर छूटा. दूसरा टेस्ट पोर्ट ऑफ स्पेन में था. भारतीय टीम एयरपोर्ट से बाहर निकल रही थी कि वहां के इमिग्रेशन अफसर की नजर एक नौजवान खिलाड़ी पर पड़ी. उसने पासपोर्ट लिया, नाम पढ़ा और पूछा, ‘आप क्या करते हैं?’ खिलाड़ी ने जवाब दिया, मैं ओपनर हूं. इमिग्रेशन अफसर ने उसकी कद-काठी और उम्र देखकर ठहाका लगाया और कहा, अपना सिर बचाकर रखना. यह बात इस नौजवान को चुभ गई.
पहले टेस्ट में इस खिलाड़ी को मौका नहीं मिला था. दूसरे मैच में जैसे ही उसे ओपनिंग करने को कहा गया, वह मानों उसी हंसी का जवाब देने के लिए तैयार हो रहा था. यह उसका डेब्यू मैच भी था. कातिलाना रफ्तार के लिए पहचाने जाने वाले कैरिबियाई गेंदबाजों के आगे वह बेखौफ था. पहली पारी में उसने 65 और दूसरी में 67 रन बनाए. भारत मैच जीत गया. यह वेस्टइंडीज के खिलाफ भारत की पहली जीत थी. इसके बाद तो इस नौजवान ने उस उपहास का ऐसा जवाब दिया कि वेस्टइंडीज शायद ही कभी सुनील गावस्कर को भूल पाए.
सम्मान में बजा कैलिप्सो
सुनील गावस्कर ने इस सीरीज में 4 टेस्ट मैचों में 774 रन बना डाले. लिटिल मास्टर ने वेस्टइंडीज के खूंखार गेंदबाजों का घमंड उन्हीं की सरजमीं पर चकनाचूर करते हुए एक के बाद एक चार शतक ठोके. इसमें एक दोहरा शतक भी शामिल था. इस दौरान गावस्कर का सिर भी सही-सलामत रहा.
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टेस्ट सीरीज के बाद भारतीय टीम के सम्मान में एक पार्टी रखी गई. लेकिन यह पार्टी वास्तव में लिटिल मास्टर के लिए थी. कैलिप्सो सिंगर लॉर्ड रिएल्टर ने पार्टी में गाना गया, जिसके बोल थे, इट वॉज गावस्कर, द रीयल मास्टर. पूरे गाने का मतलब था, वो गावस्कर ही थे, जो सचमुच मास्टर थे, पिच पर दीवार की तरह खड़े थे ओर वेस्टइंडीज उन्हें आउट नहीं कर सका.
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Tags: Sunil gavaskar, West Indies Cricket Team
FIRST PUBLISHED : May 15, 2023, 20:42 IST