हाइलाइट्स
भारत के लिए पहले टेस्ट में नाइटवॉचमैन बन विरोधी टीम की उड़ाई थी नींद
भारतीय टीम में मनिंदर सिंह के उत्तराधिकारी के रूप में हुआ था शामिल
नई दिल्ली. भारतीय क्रिकेट में कई दशकों तक बिशन सिंह बेदी, ईरापल्ली प्रसन्ना और बीएस चंद्रशेखर की स्पिन तिकड़ी का राज रहा. फिर 90 के दशक के शुरुआती सालों में भारत को एक और स्पिन तिकड़ी मिली. इसमें अनिल कुंबले, राजेश चौहान के साथ एक दुबली-पतली काया का गेंदबाज भी शामिल था, जो भारतीय टीम में मनिंदर सिंह के उत्तराधिकारी के रूप में आया. अब तक तो आप इस स्पिनर का नाम समझ गए होंगे. ये फिरकी गेंदबाज कोई और नहीं, बल्कि वेंकटपति राजू थे. राजू का पूरा नाम सागी लक्ष्मी वेंकटपति राजू है.
वेंकटपति राजू भारत के लिए 11 साल टेस्ट क्रिकेट खेले और 6 साल वनडे. बाएं हाथ के इस फिंगर स्पिनर ने न्यूजीलैंड के खिलाफ 1990 में क्राइस्टचर्च टेस्ट से डेब्यू किया था. लेकिन, 90 का दशक खत्म होते-होते उनके करियर ग्राफ गिरने लगा और मार्च 2001 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ऐतिहासिक कोलकाता टेस्ट उनका आखिरी इंटरनेशनल मैच साबित हुआ. इसी टेस्ट में हरभजन सिंह ने हैट्रिक ली थी.
डेब्यू टेस्ट में राजू बने थे नाइटवॉचमैन
वेंकटपति राजू वैसे तो गेंदबाज थे और अपने पूरे करियर में डेब्यू को छोड़कर शायद ही कभी ऐसी बल्लेबाजी की, जिसने सुर्खियां बटोरी हो. राजू ने न्यूजीलैंड के खिलाफ 1990 में क्राइस्टचर्च टेस्ट में डेब्यू किया था. इस मैच में न्यूजीलैंड ने पहले बैटिंग करते हुए 459 रन बनाए थे. बारी भारत की बल्लेबाजी की आई. 88 रन पर भारत के 3 विकेट गिरने के बाद चौथे नंबर पर नाइट वॉचमैन के रूप में वेंकटपति राजू को बैटिंग के लिए भेजा गया. राजू पिच पर 2 घंटे से ज्यादा डटे रहे. उनके सामने सारे खिलाडी एक-एक आउट होकर चले गए. भारत का आखिरी विकेट राजू के रूप में ही गिरा. उन्होंने 31 रन बनाए. भारत की पहली पारी 164 पर खत्म हो गई. कपिल देव (4), सचिन तेंदुलकर(0) से ज्यादा रन राजू ने बनाए. हालांकि, ये टेस्ट न्यूजीलैंड ने जीता था. साउथ अफ्रीका के ऑलराउंडर ब्रायन मैकमिलन ने राजू का निकनेम “मसल्स” रखा था.
वेंकटपति राजू का भारतीय पिचों पर प्रदर्शन शानदार रहा. उन्होंने घर में खेले 15 टेस्ट में 75 और विदेश में खेले 12 टेस्ट में 22 विकेट झटके थे. 1994-95 में वेस्टइंडीज के खिलाफ घेरलू टेस्ट सीरीज में 20 विकेट लेने के बाद राजू का प्रदर्शन गिरता गया और 1997-98 में ऑस्ट्रेलिया सीरीज के बाद से वो टीम इंडिया से एक तरफ से बाहर ही हो गए थे. हालांकि, फर्स्ट क्लास क्रिकेट में उनका प्रदर्शन अच्छा रहा. 1999-2000 में हैदराबाद रणजी ट्रॉफी फाइनल खेला था. तब राजू ने 52 विकेट लिए थे.
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धोनी को 2007 में कप्तान चुना था
बाएं हाथ के इस स्पिनर ने 2004 में फर्स्ट क्लास क्रिकेट से संन्यास ले लिया था. वो 2007 में भारतीय टीम के सेलेक्टर बने थे. राजू उस सेलेक्शन कमेटी का हिस्सा थे, जिसने महेंद्र सिंह धोनी को टी-20 वर्ल्ड कप के लिए कप्तान चुना था.
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Tags: Cricket news, Mohammad azharuddin, Team india
FIRST PUBLISHED : March 16, 2023, 19:10 IST